राज्यसभा में
कलाकारों, लेखकों, उद्यमियों, बुध्दिजीवियों, शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों
आदि के लिए स्थान सुरक्षित है, लेकिन सचिन को लेकर राज्यसभा
के व्यापक जनहित की प्रतिबध्दता और वैचारिकता के मापदण्ड को लेकर बहस छिड गई हैं।
चौतरफा संघर्षो में घिरी कांग्रेस के लिऐ सचिन को भारत रत्न दे पाना
तकनीकी तौर पर संभव नही था पर कांग्रेस के
ध्वजारोहक के लिऐ सचिन जरूरी भी था, लिहाजा राज्य सभा सदस्यता का सांत्वना पुरस्कार दे कर काग्रेस ने राजनैतिक
चातुर्य में बाजी मार ली, पर सामाजिक सरोकार में राज्यसभा सदस्यता और पुरस्कार दो
बिल्कुल अलग बाते हैं जहां सचिन देशहित या वित्तीयहित की कसौटी पर कतई खरे नही उतरते, आजीविका के
लिऐ महंगा रेस्तरां चलाते है, लगातार मिल
रहे महंगे तोहफेा पर टैक्स की छूट लेते ही हैं , बाजारू किक्रेट में महज पैसे के लिऐ बिक रहे हैं, बहुराष्ट्रीय
कंपनियों के उत्पादों की गुणवत्ता को ताक में रख सिर्फ अपने अर्थ लाभ के लिए विज्ञापन
करते हैं, जो सीधा सीधा राज्यसभा की मूलअवधारणा पर ही सवाल सिर्फ सचिन को लेकर नही हैं दरअसल पिछले राज्यसभा के कुल 245 सदस्यों में से 128
सदस्य उघोगपति, व्यापारी, बिल्डर किस्म के लोग हैं जो राजनीतिक दलों का दामन पकड़कर अपने धंधो को
फलने-फूलने की महत्वकांक्षा लिये संसद पहुंच गये। जिनकी योग्यता राज्यसभा
में पहुंचने से पहले किसी पार्टी विशेष के नेताओं के लिये हर सुविधा मुहैय्या
कराने की ही रही है। और इस दायरे में क्या कांग्रेस, क्या बीजेपी,
हर क्षेत्रीय स्तर के राजनीतिक दल आये हैं। हालांकि वामपंथियों ने
इस रास्ते से परहेज किया।
इससे इनके तमाम
सामाजिक और आर्थिक अपराध तो ढक ही गये बल्कि विशेषाधिकार भी मिल गये। यानी राज्यसभा को ही धंधे के लाभ में बदला जा सकता है,
ऐसे भी उदाहरण हैं जो राज्यसभा में आने के
बाद धंधेबाज बन गऐ, आंकड़े बताते हैं कि राज्यसभा में साठ फीसदी सदस्य छह बरस में
कई कंपनियों के मालिक से लेकर अस्पताल, शिक्षण संस्थान या
होटल के मालिक बन गऐ ।
राज्यसभा और लोकसभा सदस्यो के बीच जबाबदेही का
बुनियादी फर्क हैं, चूंकि इन्हें आम वोटर
चुन कर नही भेजता हैं इसलिऐ इनकी जिम्मेदारी आम जनता को लेकर कुछ भी नहीं होती। और
संसद के बाहर सड़क पर आम आदमी कैसे जीवन जी रहा है, इसका कोई असर भी इनकी
सेहत पर नहीं पड़ता। सचिन के साथ अगर खेल का राष्ट्रवाद या राष्ट्रीय अस्मिता राज्य सभा में संजोया जा रहा हैं तो सवाल स्वाभाविक हैं कि ये गौरव सचिन का
हैं या राज्यसभा का........................................
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