पैट्रोल के दाम बढते ही विपक्ष के साथ साथ मीडिया की भी चिल्ल पौं शुरू हो गई , दरअसल राज्य और केन्द्र में परस्पर विरोधी सरकारो का खामियाजा हमेशा मध्यम वर्ग को ही उठाना पडता हैं जबकी राज्य सरकार के वितीय प्रंबधन अन्दुरूनी हालात केन्द्र सरकार के अपेक्षा ज्यादा ही निराशजनक हैं चूकी हम पैट्रोल के उत्पादक नही हैं इसलिऐ जब तक इसके लिऐ हम आत्मनिर्भर नही हो जाते तब तक तमाम चिल्ल पौं करने वाले भी कुछ नही कर सकते , देश के आम अवाम का सवाल पैट्रोल के कही आगे अनाज,खाने का तेल, मिर्च मशाला, पावडर क्रीम, कपड़ा, मिष्ठान, कास्मेटिक सामग्री, दवाईयां, लोहा छड़, सीमेन्ट, फाईवर के सामान, कागज, कापी के अलावा दुपहिया चारपहिया वाहन जमीन और उनपर लगने वाले अनाप शनाप टैक्स, मिलावट , जमाखोरी पर बात नही होती जिन पर राज्य सरकार का सीधा नियत्रण हैं कुछेक राज्य सरकारे तो केन्द्र की तमाम योजनाओ पर ही कुण्डली ज्माऐ बैठी हैं या उनका खुलकर दुरूपयो कर रही हैं जिसके पीछे सीधे राजनैतिक लाभ की मंशा होती हैं इसी तरह केन्द्रीय टेक्सो का भी कभी विश्लंषण होता नही दिखता केन्द्र के बढाऐ राशि व टैक्स मे वृद्धि किया गया है उसके आधार पर आम सामग्रीयो के मुल्यो पर कितना वृद्धि हो रहा है,क्या उसके अनुपात पर मुल्य वृद्धि दर सही है या अनुपात से कही अधिक है पूर्व निर्धारित मूल्यो मे मूल्य वृद्धि सामग्रीयो को छोड़कर अन्य सामग्री चाहे वह आदि एैसे अनेक दैनिक वस्तुए है जिनके दामो मे देखते ही देखते काफी वृद्धि हो गयी जो वृद्धि नही होना था। इस प्रकार मुल्य वृद्धि मे केन्द्र सरकार की मुल्य वृद्धि के अलावा और भी अनेक कारण है जिस पर सरकार अपना ध्यान केन्द्रीत नही करती इसके लिये केन्द्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकार की भी कमजोरी है कि वे अपने अपने राज्यो के उद्योगपतियों, व्यापारियों, के मुल्य निति पर नजर नही रखती और व्यापारिगण सरकार की ओर से मामूली वृद्धि होने पर अपना विक्रय भाव मे अनुपात से अधिक वृद्धि कर अत्याधिक लाभ कमाते है यह भी बढ़ती महगाई का एक प्रमुख कारण है प्रदेश मे चल रहे गैस की कालाबाजारी के लिऐ , टेक्सी व बसो के किराया बेलगाम बढना , इसी तरह बिजली दर अधिक है, नगरीय टैक्स अधिक फलाप याजनाओ का खर्च , आऐ दिन राज्य सरकारे केन्द्र से ऐसी योजनाऔ के लिऐ पैसे लेती हैं जो न तो कभी सफल हो पाती और कई बार तो शुरू भी नही हो पाती भाई भतीजावाद की बंदरबाट भी खुलकर होती हैं जिन सब का ठिकरा केन्द्र सरकार पर फोड कर इतिश्री किया जाता हैं , यह बात बिल्कुल साफ हैं की राज्यो में व्याप्त तमाम मिलावट , जमाखोरी और भष्टाचारी पर राज्य के उद्योगपतियों, व्यापारियों के साथ राज्य के मंत्री संत्रीयो का ही सीधा गठजोड काम कर रहा हैं ,प्रदेश का जबाबदेह मंत्री ही अपराध ,जमाखोरी और भष्टाचारी के प्रति न तो कोई सार्थक पहल करने के बजाय निसहाय होकर जाने किस उदेश्य से आम लोगो को सी डी से अपने ही विभाग की करतुत दिखा रहे हैं , नक्सली समस्या ,व्यापम , नरेगा , सस्ते अनाज, सास्कतिक विभाग की बदरबाटं हर तरफ तो हताशा और निराशा को बया कर रही हैं , प्रदेश में रहने वाले युवा नशे या फिर प्राईवेट शैक्षणिक संस्थानो की चपेट में हैं , बच्चे सरकारी स्कूल पढने के बजाय मध्यान भोजन के लिऐ जा रहे क्योकी वहां न शिक्षक हैं न छत, तमाम लोकलुभावनी योजनाऐ तो सौदेबाजी हैं वोट की , सरकारी दफतरो ने भष्टाचार की हदे पार कर दी हैं , साहित्य और मीडिया सरकार की सहूलियतो के लिऐ सरकारी विज्ञप्तिबाज बन गया हैं ,टका सा सवाल ये बनता है कि सरकार जो सस्ता आनाज बांट रही हैं वह आ कहां से रहा हैं क्या उसका खामियाजा राज्य में बढ गऐ समकेतिक व जल शिक्षा, रोड बैट, सेल टेक्स जैसे कर से क्या राज्य के मध्यम् वर्ग के लिऐ मुसीबते नही बढ रही वही व्यापारिक प्रतिष्ठानो के लिये बिजली दर अधिक है, नगरीय टैक्स अधिक है। अन्ततः व्यापारी सभी टैक्सो की वसूली ग्राहको से ही करता है। ना कि अपने आय से। जरा सोचो जगह-जगह टैक्स देने के बाद भी व्यापारी रहता है मालामाल और ग्रामीण कृषक और मध्यमवर्गीय वही के वही रहते है बेहाल.........................कुल मिलाकर राज्य प्रबंधन हो न हो , मीडिया प्रबंधन से सब सत्यम शिवम सुन्दरम.........
सतीश कुमार चौहान भिलाई

1 टिप्पणी:
भाई इसी तरह नियमित अभिव्यक्ति दीजिए.
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