
व्यकस्त म चौराहा होने की वजह से यहां आऐ दिन राजनैतिक गैर राजनैतिक धरना प्रदर्शन इसी पान ठेले के सामने होते रहते हैं, वही एक ही तरह का टेंट गददे ,माइक्, पुलिस के लिऐ दो चार कुर्सी का इन्त जाम, एक ही किस्मर के झण्डेे बस रंग अलग, एक ही किस्मे के लोग बस शक्लेस अलग,रोज भीड जुटती पान गुटका और सिगरेट बिकते, धीरे धीरे पानी पाउच फिर कोल्डत ड्रिंक भी बिकने लगा, पनवाडी पक्काी व्यासपारी था उसने रोज रोज के धरना प्रदर्शन के लिऐ पुरा ताम झाम ही खरीद लिया, जिसमे टेंट गददे ,माइक् के अलावा जलाने के लिऐ पुतले, नारे बाजी के लिऐ भीड जुटाने ,चिल्लानने, मार्च निकालने के लिऐ बगल की बस्ती से लोगो की भी व्यतवस्थाम की जाने लगी, प्रेस के लिऐ आवश्यक् सेटिग भी इन्होइने ही शुरू कर दी कुछ मीडियापरस्तय नेताओ को तो धरना में प्रेस फोटोगा्फर के पहुचने की सूचना भी दी जाने लगी जिससे जनाब् घर बैठे ही तमाम मीडिया से धरना में बैदने का धौंस जमा सके , भैयया के पहुचने तक प्रेस फोटोगा्फरो को रोके रखने की जाने वाली खातिरदारी का भी बाकायदा कान्टेूक्टन होने लगा, पान दुकान के लिऐ इससे ज्याडदा सोने मे सुहागा और क्याफ होगा धरने में पटिटया छाप नेताओ से लेकर बडे बडे नेता धरने में पालथी मार कर बैठते थे, बंगले तक पहले पान फिर खुद पहुचने लगे , सम्परर्क बढा और साथ साथ खुफिया तंत्र को प्रर्दशन कर रहे लोगो की जानकारी उपलब्धख कराने के एवज में कलेक्टंर साहब से एक सस्तेफ आनाज के दुकान और हथियार का लाइसेंस् भी पनवाडी जी ने हथिया लिया, रोज के दो दो शिफट में धरना प्रदर्शन की आमदनी से दोनली बंदूक खरीद ली , धरना प्रर्दशन के टेंट गददे ,माइक् और मंत्री संत्री की निकटता से फर्जी टेंट हाउस के नाम पर एक बैंक से पांच लाख का लोन लेकर चौक पर ही एक दुकान भी खरीद ली, बंदूक तो थी ही प्राइवेट सेक्यूखरीटी गार्ड की भी ऐजेन्सीि खुल गई,

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