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शनिवार, 21 मई 2011

एक दिनी जंगी प्रर्दशन ......


हमारे आफिस के सामने चौराहे पर एक सामन्य सा पान ठेला था, वही तकनीक से बना जिसमे नीचे गोदाम साथ साथ पनवाडी के लिऐ खडे होने की जगह मदारी के सामने डबबा जैसे एक लम्बाी लाल कपडे से ढका फ्रिज के काम सा डब्बाज जिसमे पान का समान रखा जाता उपर से चुन्न टदार झालर वालारंगीन कपडे का कवर, रात के लिऐ हरी टयूब्‍ लाइट, बडा साउण्ड बाक्सन जिसमे दादा कोउके स्टाेइल के गाने चलते रहते हैं, देश दुनिया की खबर,चर्चा, हर वर्ग जाति,व्यचवसाय के लोगो का मिलन कुल मिलाकर रंगीला व्य वसाय और रंगीन मिजाज पनवाडी,


व्यकस्त म चौराहा होने की वजह से यहां आऐ दिन राजनैतिक गैर राजनैतिक धरना प्रदर्शन इसी पान ठेले के सामने होते रहते हैं, वही एक ही तरह का टेंट गददे ,माइक्‍, पुलिस के लिऐ दो चार कुर्सी का इन्त जाम, एक ही किस्मर के झण्डेे बस रंग अलग, एक ही किस्मे के लोग बस शक्लेस अलग,रोज भीड जुटती पान गुटका और सिगरेट बिकते, धीरे धीरे पानी पाउच फिर कोल्डत ड्रिंक भी बिकने लगा, पनवाडी पक्काी व्यासपारी था उसने रोज रोज के धरना प्रदर्शन के लिऐ पुरा ताम झाम ही खरीद लिया, जिसमे टेंट गददे ,माइक्‍ के अलावा जलाने के लिऐ पुतले, नारे बाजी के लिऐ भीड जुटाने ,चिल्लानने, मार्च निकालने के लिऐ बगल की बस्ती से लोगो की भी व्यतवस्थाम की जाने लगी, प्रेस के लिऐ आवश्यक्‍ सेटिग भी इन्होइने ही शुरू कर दी कुछ मीडियापरस्तय नेताओ को तो धरना में प्रेस फोटोगा्फर के पहुचने की सूचना भी दी जाने लगी जिससे जनाब् घर बैठे ही तमाम मीडिया से धरना में बैदने का धौंस जमा सके , भैयया के पहुचने तक प्रेस फोटोगा्फरो को रोके रखने की जाने वाली खातिरदारी का भी बाकायदा कान्टेूक्टन होने लगा, पान दुकान के लिऐ इससे ज्याडदा सोने मे सुहागा और क्याफ होगा धरने में पटिटया छाप नेताओ से लेकर बडे बडे नेता धरने में पालथी मार कर बैठते थे, बंगले तक पहले पान फिर खुद पहुचने लगे , सम्परर्क बढा और साथ साथ खुफिया तंत्र को प्रर्दशन कर रहे लोगो की जानकारी उपलब्धख कराने के एवज में कलेक्टंर साहब से एक सस्तेफ आनाज के दुकान और हथियार का लाइसेंस्‍ भी पनवाडी जी ने हथिया लिया, रोज के दो दो शिफट में धरना प्रदर्शन की आमदनी से दोनली बंदूक खरीद ली , धरना प्रर्दशन के टेंट गददे ,माइक्‍ और मंत्री संत्री की निकटता से फर्जी टेंट हाउस के नाम पर एक बैंक से पांच लाख का लोन लेकर चौक पर ही एक दुकान भी खरीद ली, बंदूक तो थी ही प्राइवेट सेक्यूखरीटी गार्ड की भी ऐजेन्सीि खुल गई,
पान का दुकान एक अघोषित धरना प्रर्दशन सूचना सहयोग संस्था न भी बन गया जहां च्वाभइस सेन्ट र की तरह हर काम होने लगा , रोज की अखबारो और लोकल चैनलो में धरने की फोटो ये महोदय मय पान दुकान मुस्कु राते दिखते थे कई बार तो अखबारो में एक ही दिन तीन तीन दलो के एक दिनी धरना की तस्वीकर छप जाती थी एक ही बार प्रेस फोटोगा्फर आता था, मिनटो में रामलीला की तरह कैमरे के क्लिक के साथ झण्डे बैनर और कुछ चेहरे बदलते, हो जाती मयफोटो तीन अलग अलग दलो की विज्ञप्ति जारी ......की नीति के खिलाफ एक दिनी जंगी प्रर्दशन ......                                              सतीश कुमार चौहान , भिलाई

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