गंगा तू बुलाती ही क्यों हैं ...........?
गंगा में नहाने के लिए लाखों लाख लोग आते हैं , मान्यता हैं कि गंगा में इुबकी लगाऐ बिना तो स्वर्ग में प्रवेश ही नही मिलेगा हैं, यहां अमीर गरीब का भी अनोखा मनोविज्ञान काम करता हैं, एक तबका अपने स्तर पर तो बडे शान शौकत से रहता हैं गली मोहल्लो के नाली नालो को देखते ही नाक सिकोड लेता हैं रूमाल से शक्ल छुपा लेता हैं पर गंगा के पास आते ही ये जानते हुऐ भी की पुरा किया धरा मल मुर्दा मटेरियल इसी गंगा में हैं, फिर भी बडे उत्साह के साथ एक नही सात सात बार डुबकी लगाते हुऐ यह मान लेते है कि तमाम पाप बसा धुल ही गऐ , इसी तरह अपेक्षाकृत आर्थिक रूप से कमजोर नाली नालो के किनारे गली बस्ती में रहने वाले भी उसी उत्साह और आस्था से डुबकी लगा कर महसूस करते है की उसने तो पुण्य पा ही लिया, बडी श्रद्वा से बोतल में भर कर घर ले जाते हैं और पुरे घर में छिटक छिटक कर महसूस करते है कि पतित पावन गंगा घर आ गई , चन्नार्मत में भी घोल घोल कर पीते हैं जबकी इसी पहले वर्ग के लोगो ने पाप खुद को तो धौया ही साथ ही तमाम अपनी व्यवसायिक गंदगी को भी इसी गंगा में बहा कर तिजोरीया भरी,और दूसरा वर्ग गंगा के ही समेट लेना चाहता हैं![]() |
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आयोजन की भव्यता धर्म और पूंजी के सत्ता के साथ नज़दीक के रिश्ते और गठबंधन की और संकेत करती है। सरकार के सहयोग के बगैर इस प्रकार की दकियानूसी ताकते आगे नहीं बढ़ सकती, क्या ऐसे आयोजनो से उन यथास्थितिवादियों को बल नही मिलता जो समय समय पर अपने वर्चस्व को बढाने के लिऐ ऐसे आयोजन की उपयोगिता बनाऐ रखने के लिऐ लाखो लाख लोगो इकठा करके उनका मल मूत्र महीनो गंगा में ही बहाते है, भीडतंत्र का ऐसा शक्ति परीक्षण जो वोट बैंक के धुव्रीकरण के साथ साथ व्याभिचार का ऐसा बाजार बनता हैं जिसमें बम बम के नशीले कारोबार और गोरी चमड़ी की विदेशी शिष्यों का जमवाडा ताकत और आस्था का मापदंड माना जाता हैं ।

या फिर क्यो न गंगा बुलाने के बजाय केदार जैसे दुत्कार दे ...................
आलेख के पति मेरा आसय कतई किसी धर्म संप्रदाय व राजनैतिक जमात को ठेस पहुचाना नही हैं ये एक विशुद्व गंगा के प्रति चितां हैं......................
सतीश कुमार चौहान
आलेख के पति मेरा आसय कतई किसी धर्म संप्रदाय व राजनैतिक जमात को ठेस पहुचाना नही हैं ये एक विशुद्व गंगा के प्रति चितां हैं......................
सतीश कुमार चौहान
10/6/2014
1 टिप्पणी:
उम्दा लेखन .....
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